
जयपुर, राजस्थान की राजधानी, जहां शिक्षा के बड़े-बड़े संस्थान हैं, वहां एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। नवंबर 2025 की शुरुआत में, नीर्जा मोदी स्कूल में पढ़ने वाली 9 साल की मासूम बच्ची अमायरा कुमार ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि स्कूलों में बढ़ते बुलिंग और बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का जीता-जागता सबूत है। अभिभावकों का आरोप है कि अमायरा पिछले 18 महीनों से सहपाठियों की तरफ से लगातार तंग की जा रही थी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। इस लेख में हम इस दुखद घटना की पूरी कहानी, कारणों और सबकों पर विस्तार से बात करेंगे, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। Jaipur School Suicide
घटना क्या हुई: एक सामान्य दिन का दुखद अंत
1 नवंबर 2025 को सुबह अमायरा घर से खुशी-खुशी स्कूल गई थी। क्लास 4 की छात्रा होने के नाते वह अपनी पढ़ाई में अच्छी थी, लेकिन स्कूल पहुंचते ही उसका मूड बदल गया। सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि 11 बजे के बाद वह परेशान नजर आ रही थी। सहपाठियों ने उसकी डिजिटल स्लेट पर कुछ आपत्तिजनक सामग्री दिखाई, जिससे वह बेहद आहत हुई। आखिरी 45 मिनटों में उसने पांच बार अपनी क्लास टीचर से मदद मांगी, लेकिन टीचर ने उल्टा उसे डांटा और कोई ध्यान नहीं दिया। अंत में, अमायरा अकेले ही चौथी मंजिल पर चली गई और वहां से कूद गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। यह घटना जयपुर स्कूल सुसाइड के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां #EndBullyingInSchools जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। हजारों पैरेंट्स ने अपनी कहानियां शेयर कीं, जो बच्चों में बढ़ते तनाव को दर्शाती हैं।Jaipur School Suicide
बुलिंग की दर्दनाक कहानी: 18 महीनों की पीड़ा
अमायरा की परेशानी कोई नई नहीं थी। उसके माता-पिता का कहना है कि जुलाई 2024 से ही सहपाठी, खासकर कुछ लड़के, उसे तंग कर रहे थे। वे ‘बैड वर्ड्स’ इस्तेमाल करते, सेक्सुअल रेफरेंस देते और उसे चिढ़ाते। पैरेंट्स ने तीन से ज्यादा बार टीचर और कोऑर्डिनेटर से शिकायत की। सितंबर 2025 के पैरेंट-टीचर मीटिंग (पीटीएम) में पिता ने खुद एक लड़के को अमायरा को तंग करते देखा, लेकिन टीचर ने बस ‘एडजस्ट’ करने की सलाह दी। एक साल पहले का व्हाट्सऐप ऑडियो रिकॉर्डिंग में अमायरा रोते हुए कह रही है, “मैं स्कूल नहीं जाना चाहती… मुझे मत भेजो।” यह रिकॉर्डिंग टीचर को भेजी गई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में स्कूल बुलिंग एक बड़ी समस्या है, जहां हर साल हजारों बच्चे इससे प्रभावित होते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चों में सुसाइड रेट पिछले दशक में 20% बढ़ा है, और बुलिंग इसका प्रमुख कारण है।Jaipur School Suicide
स्कूल की लापरवाही: सुरक्षा में ढिलाई
नीर्जा मोदी स्कूल, जो जयपुर के प्रतिष्ठित स्कूलों में शुमार है और 5000 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। जांच में पता चला कि स्कूल का एंटी-बुलिंग कमिटी कभी एक्टिव नहीं रही। सीसीटीवी में ऑडियो नहीं था, जबकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के दिशानिर्देशों में यह अनिवार्य है। फ्लोर पर कोई अटेंडेंट नहीं थे, रेलिंग आसानी से चढ़ने लायक थीं, और बिल्डिंग में अनुमति से ज्यादा फ्लोर थे। स्कूल ने पैरेंट्स की शिकायतों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा और कोई साइकोलॉजिकल सपोर्ट नहीं दिया। घटना के बाद, स्कूल ने कोई कमेंट नहीं किया, जो उनकी उदासीनता को दर्शाता है। पैरेंट्स ने कवर-अप का आरोप लगाया और सीबीआई जांच की मांग की।Jaipur School Suicide
अभिभावकों का दर्द: न्याय की गुहार
अमायरा के माता-पिता और चाचा ने मीडिया से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा, “हमारी बेटी खुशमिजाज थी, लेकिन स्कूल ने उसे तोड़ दिया।” उन्होंने शहीद स्मारक पर प्रोटेस्ट किया और स्कूल की फीस और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए। परिवार ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने स्कूल की लापरवाही पर रोशनी डाली। पुलिस जांच चल रही है, लेकिन अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। एसीपी मंसारोवर अदित्य काकड़े ने कहा कि सभी एंगल्स से जांच हो रही है। पैरेंट्स की मांग है कि दोषियों को सजा मिले और स्कूल बंद हो। यह घटना उन लाखों पैरेंट्स के लिए सबक है जो अपने बच्चों की शिकायतों को हल्के में लेते हैं।Jaipur School Suicide
जांच और कार्रवाई: सीबीएसई का एक्शन
घटना के अगले दिन सीबीएसई की दो सदस्यीय कमिटी ने स्कूल का दौरा किया और पैरेंट्स से मिली। जांच रिपोर्ट में स्कूल की कई खामियां उजागर हुईं, जैसे सुरक्षित वातावरण की कमी, शिकायत निवारण तंत्र का अभाव और बच्चे की असुरक्षित मूवमेंट। सीबीएसई ने स्कूल को शो-कॉज नोटिस जारी किया। जिला शिक्षा अधिकारी रामनिवास शर्मा ने कहा कि फुटेज में सहपाठी अमायरा को परेशान करते नजर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और एनसीपीसीआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन पाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में सख्त नियम लागू करने चाहिए।Jaipur School Suicide
बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: एक बड़ी समस्या
यह घटना भारत में बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी को उजागर करती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 10-19 साल के बच्चों में सुसाइड दूसरा प्रमुख मौत का कारण है। स्कूल बुलिंग से डिप्रेशन, एंग्जायटी और आइसोलेशन बढ़ता है। जयपुर जैसे शहरों में, जहां प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, बच्चे दबाव में आ जाते हैं। पैरेंट्स और टीचर्स को बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए। अगर बच्चा स्कूल जाने से मना करे, रोए या अकेला रहे, तो तुरंत काउंसलिंग कराएं। भारत में मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन जैसे 104 या चाइल्डलाइन 1098 का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए।Jaipur School Suicide
रोकथाम के उपाय: भविष्य सुरक्षित बनाएं
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में एंटी-बुलिंग पॉलिसी सख्ती से लागू होनी चाहिए। टीचर्स को ट्रेनिंग दी जाए, सीसीटीवी में ऑडियो हो, और फ्लोर पर सुपरवाइजर रखें। पैरेंट्स बच्चों से रोज बात करें, उनकी समस्याएं सुनें। समाज में जागरूकता अभियान चलाएं, जैसे वर्कशॉप और सेमिनार। सरकार को स्कूल सेफ्टी लॉ मजबूत करने चाहिए। अमायरा जैसी मासूमों की याद में,让我们 बदलाव लाएं ताकि कोई बच्चा बुलिंग का शिकार न बने।Jaipur School Suicide
जयपुर, राजस्थान की राजधानी, जहां शिक्षा के बड़े-बड़े संस्थान हैं, वहां एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। नवंबर 2025 की शुरुआत में, नीर्जा मोदी स्कूल में पढ़ने वाली 9 साल की मासूम बच्ची अमायरा कुमार ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि स्कूलों में बढ़ते बुलिंग और बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का जीता-जागता सबूत है। अभिभावकों का आरोप है कि अमायरा पिछले 18 महीनों से सहपाठियों की तरफ से लगातार तंग की जा रही थी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। इस लेख में हम इस दुखद घटना की पूरी कहानी, कारणों और सबकों पर विस्तार से बात करेंगे, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।Jaipur School Suicide
घटना क्या हुई: एक सामान्य दिन का दुखद अंत
1 नवंबर 2025 को सुबह अमायरा घर से खुशी-खुशी स्कूल गई थी। क्लास 4 की छात्रा होने के नाते वह अपनी पढ़ाई में अच्छी थी, लेकिन स्कूल पहुंचते ही उसका मूड बदल गया। सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि 11 बजे के बाद वह परेशान नजर आ रही थी। सहपाठियों ने उसकी डिजिटल स्लेट पर कुछ आपत्तिजनक सामग्री दिखाई, जिससे वह बेहद आहत हुई। आखिरी 45 मिनटों में उसने पांच बार अपनी क्लास टीचर से मदद मांगी, लेकिन टीचर ने उल्टा उसे डांटा और कोई ध्यान नहीं दिया। अंत में, अमायरा अकेले ही चौथी मंजिल पर चली गई और वहां से कूद गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। यह घटना जयपुर स्कूल सुसाइड के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां #EndBullyingInSchools जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। हजारों पैरेंट्स ने अपनी कहानियां शेयर कीं, जो बच्चों में बढ़ते तनाव को दर्शाती हैं।Jaipur School Suicide
बुलिंग की दर्दनाक कहानी: 18 महीनों की पीड़ा
अमायरा की परेशानी कोई नई नहीं थी। उसके माता-पिता का कहना है कि जुलाई 2024 से ही सहपाठी, खासकर कुछ लड़के, उसे तंग कर रहे थे। वे ‘बैड वर्ड्स’ इस्तेमाल करते, सेक्सुअल रेफरेंस देते और उसे चिढ़ाते। पैरेंट्स ने तीन से ज्यादा बार टीचर और कोऑर्डिनेटर से शिकायत की। सितंबर 2025 के पैरेंट-टीचर मीटिंग (पीटीएम) में पिता ने खुद एक लड़के को अमायरा को तंग करते देखा, लेकिन टीचर ने बस ‘एडजस्ट’ करने की सलाह दी। एक साल पहले का व्हाट्सऐप ऑडियो रिकॉर्डिंग में अमायरा रोते हुए कह रही है, “मैं स्कूल नहीं जाना चाहती… मुझे मत भेजो।” यह रिकॉर्डिंग टीचर को भेजी गई थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में स्कूल बुलिंग एक बड़ी समस्या है, जहां हर साल हजारों बच्चे इससे प्रभावित होते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चों में सुसाइड रेट पिछले दशक में 20% बढ़ा है, और बुलिंग इसका प्रमुख कारण है।Jaipur School Suicide
स्कूल की लापरवाही: सुरक्षा में ढिलाई
नीर्जा मोदी स्कूल, जो जयपुर के प्रतिष्ठित स्कूलों में शुमार है और 5000 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। जांच में पता चला कि स्कूल का एंटी-बुलिंग कमिटी कभी एक्टिव नहीं रही। सीसीटीवी में ऑडियो नहीं था, जबकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के दिशानिर्देशों में यह अनिवार्य है। फ्लोर पर कोई अटेंडेंट नहीं थे, रेलिंग आसानी से चढ़ने लायक थीं, और बिल्डिंग में अनुमति से ज्यादा फ्लोर थे। स्कूल ने पैरेंट्स की शिकायतों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा और कोई साइकोलॉजिकल सपोर्ट नहीं दिया। घटना के बाद, स्कूल ने कोई कमेंट नहीं किया, जो उनकी उदासीनता को दर्शाता है। पैरेंट्स ने कवर-अप का आरोप लगाया और सीबीआई जांच की मांग की।Jaipur School Suicide
अभिभावकों का दर्द: न्याय की गुहार
अमायरा के माता-पिता और चाचा ने मीडिया से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा, “हमारी बेटी खुशमिजाज थी, लेकिन स्कूल ने उसे तोड़ दिया।” उन्होंने शहीद स्मारक पर प्रोटेस्ट किया और स्कूल की फीस और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए। परिवार ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने स्कूल की लापरवाही पर रोशनी डाली। पुलिस जांच चल रही है, लेकिन अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। एसीपी मंसारोवर अदित्य काकड़े ने कहा कि सभी एंगल्स से जांच हो रही है। पैरेंट्स की मांग है कि दोषियों को सजा मिले और स्कूल बंद हो। यह घटना उन लाखों पैरेंट्स के लिए सबक है जो अपने बच्चों की शिकायतों को हल्के में लेते हैं।Jaipur School Suicide
जांच और कार्रवाई: सीबीएसई का एक्शन
घटना के अगले दिन सीबीएसई की दो सदस्यीय कमिटी ने स्कूल का दौरा किया और पैरेंट्स से मिली। जांच रिपोर्ट में स्कूल की कई खामियां उजागर हुईं, जैसे सुरक्षित वातावरण की कमी, शिकायत निवारण तंत्र का अभाव और बच्चे की असुरक्षित मूवमेंट। सीबीएसई ने स्कूल को शो-कॉज नोटिस जारी किया। जिला शिक्षा अधिकारी रामनिवास शर्मा ने कहा कि फुटेज में सहपाठी अमायरा को परेशान करते नजर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और एनसीपीसीआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन पाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में सख्त नियम लागू करने चाहिए।Jaipur School Suicide
बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: एक बड़ी समस्या
यह घटना भारत में बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी को उजागर करती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 10-19 साल के बच्चों में सुसाइड दूसरा प्रमुख मौत का कारण है। स्कूल बुलिंग से डिप्रेशन, एंग्जायटी और आइसोलेशन बढ़ता है। जयपुर जैसे शहरों में, जहां प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, बच्चे दबाव में आ जाते हैं। पैरेंट्स और टीचर्स को बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए। अगर बच्चा स्कूल जाने से मना करे, रोए या अकेला रहे, तो तुरंत काउंसलिंग कराएं। भारत में मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन जैसे 104 या चाइल्डलाइन 1098 का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए।Jaipur School Suicide
रोकथाम के उपाय: भविष्य सुरक्षित बनाएं
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में एंटी-बुलिंग पॉलिसी सख्ती से लागू होनी चाहिए। टीचर्स को ट्रेनिंग दी जाए, सीसीटीवी में ऑडियो हो, और फ्लोर पर सुपरवाइजर रखें। पैरेंट्स बच्चों से रोज बात करें, उनकी समस्याएं सुनें। समाज में जागरूकता अभियान चलाएं, जैसे वर्कशॉप और सेमिनार। सरकार को स्कूल सेफ्टी लॉ मजबूत करने चाहिए। अमायरा जैसी मासूमों की याद में,让我们 बदलाव लाएं ताकि कोई बच्चा बुलिंग का शिकार न बने।Jaipur School Suicide
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